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Jyotir Math

Ashram in Joshimath

Updated: March 09, 2024 01:01 AM

Jyotir Math is located in Joshimath (Town in India), India. It's address is Joshimath, Uttarakhand 246443, India.

Joshimath, Uttarakhand 246443, India

HH28+69 Joshimath, Uttarakhand, India

shreejyotirmathah.org

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Monday4 AM to 8 PM
Tuesday4 AM to 8 PM
Wednesday4 AM to 8 PM
Thursday4 AM to 8 PM
Friday4 AM to 8 PM
Saturday4 AM to 8 PM
Sunday4 AM to 8 PM

Questions & Answers


Where is Jyotir Math?

Jyotir Math is located at: Joshimath, Uttarakhand 246443, India.

What are the coordinates of Jyotir Math?

Coordinates: 30.5505524, 79.5659633

Jyotir Math Reviews

atmabodha
2023-03-15 06:37:03 GMT

Acharya Shankara....
show mercy on me.
This individual EGO has to dissolve in ocean of bhakthi and should attain divine bliss. My guru, My Lord's grace is enough for me and for this life.
fortunately i visited this math on the official training at Auli ITBP (Indo Tebitan boarder police) in the year 2021.

vinay singh
2022-11-22 03:17:03 GMT

Amazing place to sit here, calm vibes

Shobhita Ramesh
2022-03-06 11:09:20 GMT

Do we have accommodation facilities in the mutt?

Aslan Dogan
2022-04-28 09:48:48 GMT

COME, COME, DON'T BE SAYING I'M COMING NO LONGER, COME AND AWAKEN TO THE TRUTH🌹🙏🙏🙏

C&P Prem Rang
2021-11-16 04:34:55 GMT

Nice

Swami Balapradananda
2021-04-25 13:56:51 GMT

पांडुकेश्वर में पाये गये कत्यूरी राजा ललितशूर के तांब्रपत्र के अनुसार जोशीमठ कत्यूरी राजाओं की राजधानी थी, जिसका उस समय का नाम कार्तिकेयपुर था। लगता है कि एक क्षत्रिय सेनापति कंटुरा वासुदेव ने गढ़वाल की उत्तरी सीमा पर अपना शासन स्थापित किया तथा जोशीमठ में अपनी राजधानी बसायी। वासुदेव कत्यूरी ही कत्यूरी वंश का संस्थापक था। जिसने 7वीं से 11वीं सदी के बीच कुमाऊं एवं गढ़वाल पर शासन किया।
फिर भी हिंदुओं के लिये एक धार्मिक स्थल की प्रधानता के रूप में जोशीमठ, आदि शंकराचार्य की संबद्धता के कारण मान्य हुआ। जोशीमठ शब्द ज्योतिर्मठ शब्द का अपभ्रंश रूप है जिसे कभी-कभी ज्योतिषपीठ भी कहते हैं। इसे वर्तमान 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। उन्होंने यहां एक शहतूत के पेड़ के नीचे तप किया और यहीं उन्हें ज्योति या ज्ञान की प्राप्ति हुई। यहीं उन्होंने शंकर भाष्य की रचना की जो सनातन धर्म के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है।

जैसा कि अधिकांश प्राचीन एवं श्रद्धेयस्थलों के लिये होता है, उसी प्रकार जोशीमठ का भूतकाल किंवदन्तियों एवं रहस्यों से प्रभावित है जो इसकी पूर्व प्रधानता को दर्शाता है। माना जाता है कि प्रारंभ में जोशीमठ का क्षेत्र समुद्र में था तथा जब यहां पहाड़ उदित हुए तो वह नरसिंहरूपी भगवान विष्णु की तपोभूमि बनी।

मंदिरों के हर प्राचीन शहर की तरह जोशीमठ भी ज्ञान पीठ है जहां आदि शंकराचार्य ने भारत के उत्तरी कोने के चार मठों में से पहला की स्थापना की। इस शहर को ज्योतिमठ भी कहा जाता है तथा इसकी मान्यता ज्योतिष केंद्र के रूप में भी है। संपूर्ण देश से यहां पुजारियों, साधुओं एवं संतों का आगमन होता रहा तथा पुराने समय में कई आकर यहीं बस गये। बद्रीनाथ मंदिर जाते हुए तीर्थयात्री भी यहां विश्राम करते थे। वास्तव में तब यह मान्यता थी कि बद्रीनाथ की यात्रा तब तक अपूर्ण रहती है जब तक जोशीमठ जाकर नरसिंह मंदिर में पूजा न की जाए।
आदि शंकराचार्य द्वारा बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना तथा वहां नम्बूद्रि पुजारियों को बिठाने के समय से ही जोशीमठ बद्रीनाथ के जाड़े का स्थान रहा है और आज भी वह जारी है। जाड़े के 6 महीनों के दौरान जब बद्रीनाथ मंदिर बर्फ से ढंका होता है तब भगवान विष्णु की पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में ही होती है। बद्रीनाथ के रावल मंदिर कर्मचारियों के साथ जाड़े में जोशीमठ में ही तब तक रहते हैं, जब कि मंदिर का कपाट जाड़े के बाद नहीं खुल जाता।
जोशीमठ एक परंपरागत व्यापारिक शहर है और जब तिब्बत के साथ व्यापार चरमोत्कर्ष पर था तब भोटिया लोग अपना सामान यहां आकर बिक्री करते थे एवं आवश्यक अन्य सामग्री खरीदकर तिब्बत वापस जाते थे। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद यह व्यापारिक कार्य बंद हो गया और कई भोटिया लोगों ने जोशीमठ तथा इसके इर्द-गिर्द के इलाकों में बस जाना पसंद किया।
पर्वतों से दूर होने के कारण, जहां वे रहते हैं, यह सुनिश्चित हुआ कि वे अपने विशिष्ट सांस्कृतिक परंपरा को संगीत एवं नृत्य के रूप में कायम रख सकें। अधिकांश गीत एवं नाच या तो धार्मिक या फिर लोगों की जीवन शैली पर आधारित हैं जो आज भी मूल रूप से कृषिकार्य से संबंधित हैं।
गीत के साथ थाडिया नृत्य बसंत पंचमी को होता है जो बसंत के आगमन समारोह का प्रतीक है। झुमेला नृत्य दीपावली पर होता है तथा पांडव नृत्य जाड़े में फसल कटने के बाद किया जाता है, जिसमें महाभारत की प्रमुख घटनाओं को प्रदर्शित किया जाता है। जीतू बगडवाल तथा जागर जैसे अन्य नृत्यों में पौराणिक कथाओं का प्रदर्शन होता है। परंपरागत परिधानों से सज्जित नर्तक ढोल एवं रनसिंधे की धुन पर थिरकते हैं। लोकगीतों का गायन खासकर उस समय होता है जब महिलायें एक जगह जमा होकर परंपरागत गीत गाती हैं, जिनमें बहादुरी के कारनामे, प्रेम तथा कठिन जीवन, जो पहाड़ी पर वे व्यतीत करती हैं, शामिल रहते हैं। जिले में मनोरंजन एवं मनोविनोद के प्रमुख अवसर त्योहार, धार्मिक एवं सामाजिक मेले है। विशेष अवसरों पर लोग शिव एवं पार्वती से संवंधित किंवदन्तियों का स्वांग रचते हैं। दशहरे के दौरान रामलीला का वार्षिक आयोजन होता है।

नरसिंह मंदिर पर एक अन्य समारोह तिमुंडा बीर मेला आयोजित होता है। स्पष्ट रूप से इस समारोह में बीर 8 किलो कच्चा चावल, बड़ी मात्रा में गुड़ तथा घी के साथ एक बकरे का खून पीता है तथा उसके गुर्दे एवं हृदय का भक्षण करता है। उसके बाद वह भगवती के वशीभूत होकर अचेतावस्था में नाचता है।

VIPINCHANDRA TIWARI
2022-05-24 20:14:45 GMT

HOLI PLACE
Swami Shree Shankaracharya ji Math

Prateek Mishra
2024-01-03 07:19:56 GMT

जय सियाराम

Vijay Sekhon
2022-04-14 10:01:53 GMT

Jai ho

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About Joshimath
Town in India

Joshimath, also known as Jyotirmath, is a town and a municipal board in Chamoli District in the Indian state of Uttarakhand. Located at a height of 6,150 feet, it is a gateway to several Himalayan mountain climbing expeditions, trekking trails and pilgrim centres like Badrinath. source

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